Wednesday, October 9, 2013

Esa kyun hota hai??

कन्या भ्रूण हत्या, लड़कों को प्राथमिकता देने तथा कन्या जन्म से जुड़े निम्न मूल्य के कारण जान बूझकर की गई कन्या शिशु की हत्या होती है। ये प्रथाएं उन क्षेत्रों में होती हैं जहां सांस्कृतिक मूल्य लड़के को कन्या की तुलना में अधिक महत्व देते हैं।
कन्या भ्रूण हत्या से जुड़े तथ्य
यूनीसेफ (UNICEF) की हाल की रिपोर्ट के अनुसार भारत में सुनियोजित लिंग-भेद के कारण भारत की जनसंख्या से लगभग 5 करोड़ लड़कियां एवं महिलाएं गायब हैं, विश्व के अधिकतर देशों में, प्रति 100 पुरुषों के पीछे लगभग 105 स्त्रियों का जन्म होता है, भारत की जनसंख्या में प्रति 100 पुरुषों के पीछे 93 से कम स्त्रियां हैं।
संयुक्त राष्ट्र का कहना है कि भारत में अवैध रूप से अनुमानित तौर पर प्रतिदिन 2,000 अजन्मी कन्याओं का गर्भपात किया जाता है।
छुपे खतरे
भारत में बढ़ती कन्या भ्रूण हत्या, जनसंख्या से जुड़े संकट उत्पन्न कर सकती है जहां समाज में कम महिलाओं की वज़ह से सेक्स से जुडी हिंसा एवं बाल अत्याचार के साथ-साथ पत्नी की दूसरे के साथ हिस्सेदारी में बढ़ोतरी हो सकती है। और फिर यह सामाजिक मूल्यों का पतन कर संकट की स्थिति उत्पन्न कर सकता है।
कारण
लेकिन यह स्त्री-विरोधी नज़रिया किसी भी रूप में गरीब परिवारों तक ही सीमित नहीं है। भेदभाव के पीछे सांस्कृतिक मान्यताओं एवं सामाजिक नियमों का अधिक हाथ होता है। यदि यह प्रथा बन्द करना है तो इन नियमों को ही चुनौती देनी होगी।
भारत में स्त्री को हिकारत से देखने को सामाजिक-आर्थिक कारणों से जोड़ा जा सकता है। भारत में किए गए अध्ययनों ने स्त्री की हिकारत के पीछे तीन कारक दर्शाए हैं, जो हैं- आर्थिक उपयोगिता, सामाजिक-आर्थिक उपयोगिता, एवं धार्मिक कार्य।
अध्ययन आर्थिक उपयोगिता के बारे में यह इंगित करते हैं कि पुत्रियों की तुलना में पुत्रों द्वारा पुश्तैनी खेत पर काम करने या पारिवारिक व्यवसाय, आय अर्जन या वृद्धावस्था में माता-पिता को सहारा देने की सम्भावना अधिक होती है, विवाह होने पर लड़का, एक पुत्रवधू लाकर घर की लक्ष्मी में वृद्धि करता है जो घरेलू कार्य में अतिरिक्त सहायता देती है एवं दहेज के रूप में आर्थिक लाभ पहुंचाती है जबकि पुत्रियां विवाहित होकर चली जाती हैं तथा दहेज के रूप में आर्थिक बोझ होती हैं, स्त्री की हिकारत के पीछे सामाजिक-आर्थिक उपयोगिता संबंधी कारक यह है कि चीन की तरह, भारत में, पुरुष संतति एवं पुरुष प्रधान परिवारों के प्रथा यह है कि वंश चलाने के लिए कम से कम एक पुत्र होना अनिवार्य है, एवं कई पुत्र होना परिवारों के ओहदे को अतिरिक्त रूप से बढ़ा देता है।
स्त्री से हिकारत का अंतिम कारक है धार्मिक अवसर, जिनमें हिन्दू परम्पराओं के अनुसार केवल पुत्र ही भाग ले सकते हैं, जैसे कि माता/पिता की मृत्यु होने पर आत्मा की शांति के लिए केवल पुत्र ही मुखाग्नि दे सकता है।
सरकार द्वारा की गई पहल
इस कुरीति को समाप्त करने तथा लोगों के दृष्टिकोण में परिवर्तन लाने के लिए सरकार ने कई कदम उठाए हैं। इस दिशा में कई कानूनों, अधिनियमों एवं योजनाओं के रूप में पहल की गई है, जैसे:
दहेज के विरुद्ध कानून – दहेजरोधी अधिनियम 1961 लिंग ज्ञात करने के विरुद्ध कानून - PCPNDT अधिनियम लड़कियों की शिक्षा के समर्थन में कानून लड़कियो के अधिकारों के समर्थन में कानून बेटियों की सम्पत्ति में बराबर हिस्सेदारी के समर्थन में कानून
कन्या भ्रूण हत्या, लड़कों को प्राथमिकता देने तथा कन्या जन्म से जुड़े निम्न मूल्य के कारण जान बूझकर की गई कन्या शिशु की हत्या होती है। ये प्रथाएं उन क्षेत्रों में होती हैं जहां सांस्कृतिक मूल्य लड़के को कन्या की तुलना में अधिक महत्व देते हैं।
कन्या भ्रूण हत्या से जुड़े तथ्य
यूनीसेफ (UNICEF) की हाल की रिपोर्ट के अनुसार भारत में सुनियोजित लिंग-भेद के कारण भारत की जनसंख्या से लगभग 5 करोड़ लड़कियां एवं महिलाएं गायब हैं, विश्व के अधिकतर देशों में, प्रति 100 पुरुषों के पीछे लगभग 105 स्त्रियों का जन्म होता है, भारत की जनसंख्या में प्रति 100 पुरुषों के पीछे 93 से कम स्त्रियां हैं।
संयुक्त राष्ट्र का कहना है कि भारत में अवैध रूप से अनुमानित तौर पर प्रतिदिन 2,000 अजन्मी कन्याओं का गर्भपात किया जाता है।
छुपे खतरे
भारत में बढ़ती कन्या भ्रूण हत्या, जनसंख्या से जुड़े संकट उत्पन्न कर सकती है जहां समाज में कम महिलाओं की वज़ह से सेक्स से जुडी हिंसा एवं बाल अत्याचार के साथ-साथ पत्नी की दूसरे के साथ हिस्सेदारी में बढ़ोतरी हो सकती है। और फिर यह सामाजिक मूल्यों का पतन कर संकट की स्थिति उत्पन्न कर सकता है।
कारण
लेकिन यह स्त्री-विरोधी नज़रिया किसी भी रूप में गरीब परिवारों तक ही सीमित नहीं है। भेदभाव के पीछे सांस्कृतिक मान्यताओं एवं सामाजिक नियमों का अधिक हाथ होता है। यदि यह प्रथा बन्द करना है तो इन नियमों को ही चुनौती देनी होगी।
भारत में स्त्री को हिकारत से देखने को सामाजिक-आर्थिक कारणों से जोड़ा जा सकता है। भारत में किए गए अध्ययनों ने स्त्री की हिकारत के पीछे तीन कारक दर्शाए हैं, जो हैं- आर्थिक उपयोगिता, सामाजिक-आर्थिक उपयोगिता, एवं धार्मिक कार्य।
अध्ययन आर्थिक उपयोगिता के बारे में यह इंगित करते हैं कि पुत्रियों की तुलना में पुत्रों द्वारा पुश्तैनी खेत पर काम करने या पारिवारिक व्यवसाय, आय अर्जन या वृद्धावस्था में माता-पिता को सहारा देने की सम्भावना अधिक होती है, विवाह होने पर लड़का, एक पुत्रवधू लाकर घर की लक्ष्मी में वृद्धि करता है जो घरेलू कार्य में अतिरिक्त सहायता देती है एवं दहेज के रूप में आर्थिक लाभ पहुंचाती है जबकि पुत्रियां विवाहित होकर चली जाती हैं तथा दहेज के रूप में आर्थिक बोझ होती हैं, स्त्री की हिकारत के पीछे सामाजिक-आर्थिक उपयोगिता संबंधी कारक यह है कि चीन की तरह, भारत में, पुरुष संतति एवं पुरुष प्रधान परिवारों के प्रथा यह है कि वंश चलाने के लिए कम से कम एक पुत्र होना अनिवार्य है, एवं कई पुत्र होना परिवारों के ओहदे को अतिरिक्त रूप से बढ़ा देता है।
स्त्री से हिकारत का अंतिम कारक है धार्मिक अवसर, जिनमें हिन्दू परम्पराओं के अनुसार केवल पुत्र ही भाग ले सकते हैं, जैसे कि माता/पिता की मृत्यु होने पर आत्मा की शांति के लिए केवल पुत्र ही मुखाग्नि दे सकता है।
सरकार द्वारा की गई पहल
इस कुरीति को समाप्त करने तथा लोगों के दृष्टिकोण में परिवर्तन लाने के लिए सरकार ने कई कदम उठाए हैं। इस दिशा में कई कानूनों, अधिनियमों एवं योजनाओं के रूप में पहल की गई है, जैसे:
दहेज के विरुद्ध कानून – दहेजरोधी अधिनियम 1961 लिंग ज्ञात करने के विरुद्ध कानून - PCPNDT अधिनियम लड़कियों की शिक्षा के समर्थन में कानून लड़कियो के अधिकारों के समर्थन में कानून बेटियों की सम्पत्ति में बराबर हिस्सेदारी के समर्थन में कानून
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Monday, October 7, 2013

रोचक तथ्य


रोचक तथ्य


* मानव गर्भनिरोधक गोलियां गोरिल्ला पर भी काम करती है.

* .एक गिलहरी की उम्र 9 साल तक होती है.

* कुत्ते और बिल्लीयाँ भी मनुष्य की तरह left या right-handed होते है.

* .इतिहास में सबसे छोटा युद्ध 1896में England और Zanzibar के बीच हुआ. जिसमें Zanzibar ने 38 मिनट बाद ही सरेंडर कर दिया था.

* व्यक्ति खाना खाए बिना कई हफ्ते गुजार सकता है, लेकिन सोए बिना केवल 11 दिन रह सकता है।

* चीन में एक 17 साल के लड़के ने i pad2 और i phone के लिए अपनी kidney बेच दी थी.

* .धरती पे जितना भार सारी चीटीयों का है उतना ही सारे मनुष्यो का है.

* सिर्फ मादा मच्छर ही आपका ख़ून चूसती हैं. नर मच्छर सिर्फ आवाजे करते हैं.

* .ब्लु वेहल एक साँस में 2000 गुबारो जितनी हवा खिचती है और बाहर निकालती है.

* .मछलियोँ की याद औसत सिर्फ कुछ सेकेंड की होती है.

* .पैराशूट की खोज हवाई जहाज से 1 सदी पहले हुई थी.

* ..कंगारु उल्टा नही चल सकते .

Sunday, October 6, 2013

Zara Sochiye??

मैंने पहले भी कई बार भारत देश में महिलाओं की घटती इज्ज़त और उनके घटते सम्मान और अधिकारों पर चिंता अपने लेखों द्वारा व्यक्त की है और उनके कारणो का भी पता लगाने की भी कोशिश विभिन्न शोधों , आंकड़ों तथा लोगो से बातचीत कर के की है ! इसी क्रम में आज एक अन्य कारण का मुझे ध्यान आया जो आप सब को बता रहा हूँ !
रक्षाबंधन से एक दिन पहले मेरे मित्र के लड़के से मैंने विध्यालय न जाने का कारण पूछा तो उनसे कहा अगर आज कक्षा में गया तो बहुत सी लड़कियां उसको राखी बांध देंगी ! यानि के कुछ लड़कियां उसको भाई बनाना चाहती हैं पर वो कुछ लड़कियों को बहन नहीं बनाना चाहता ! अपनी बहन से राखी बंधवा सकता है पर किसी और की बहन या लड़की से नहीं ! ये तो छोड़िए अगर बेटे की टीचर लड़की या महिला है तो रोज़ उससे मज़ाक किया जाता है " तेरी टीचर बड़ी अच्छी है" - - " आज क्या बोला तेरी टीचर ने" इस तरह हम बच्चे के कोमल मन में लड़कियों या महिलाओं के प्रति गलत भावना भर देते हैं अनजाने में ! इसी तरह कालिज में भी लड़के 10 लड़कियों को दोस्त बना सकते हैं पर 2 को बहन नहीं बना सकते और दूसरी तरफ लड़कियां भी 10 दोस्त बना लेती हैं पर 2 भाई उनको नहीं मिलते ..क्या बात है ? माँ - बाप भी सोने पे सुहागा कर देते हैं जब लड़का किसी अंजान लड़की के साथ या लड़की किसी अंजान लड़के के साथ स्कूल , कालिज जाते समय या फिर आते समय दिखाई दे जाए तो इस से पहले लड़का -लड़की जवाब दें -, माँ - बाप सहज ही कह देते हैं बेटे तुम्हारी / तुम्हारा दोस्त है ? और न चाहते हुये भी या अंजान होते हुये भी दोनों की दोस्ती के बारे में बात घर पर भी सुनाई देती है उसके बाद लड़के-लड़की को शह भी मिल जाती है किसी न किसी रूप में ! रही सही कसर मोबाइल निकाल देता है , फिर भी कुछ बचा तो इंटरनेट ! पर माँ या बाप दोस्ती का सही मतलब कभी नहीं समझाते उनको , नतीजा लड़कियों के लिए दोस्त का मतलब घूमना - फिरना , खाना - पीना , फिल्म देखना इत्यादि और लड़को के लिए मौज - मस्ती , शराब -शबाब का मतलब दोस्त हो जाता है ! उसके बाद वही दोस्त चाहे लड़का हो या लड़की अपने दोस्त का किसी भी रूप में मौका पा कर कैसा भी शोषण कर देता है ! और तब , तब माँ - बाप अपने बच्चो को बोलते हैं ..ये , ऐसे दोस्त हैं तुम्हारे ..! पर भूल जाते हैं की शिक्षा अपने अपने घर से ही दी थी ! पहले जब हम अपने गाँव में जाते थे तो गाँव की तमाम लड़कियों को गाँव के सभी लड़के चाहे वो किसी भी धर्म , संप्रदाय , जाती के हों अपनी बहन मानते थे क्योंकि घर - परिवार से उनको शिक्षा मिली थी ! मैं ये नहीं कहता की आप हर लड़की के आगे कलाई ले के खड़े हो जाओ की ले राखी बांध या लड़कियों से ये नहीं कहता की हर लड़के को राखी बांधने चली जाए लेकिन सामाजिक मर्यादा का ख्याल तो रख लो ! इस बात की मिसाल आज मुझे खुद मिली जब इंटरनेट पर चैट करते हुये एक लड़की ने मुझे भैया कहा और जवाब में मेंने उसको बोलो बहना कहा और उसके बाद हमारी बात अलग- अलग विषयों पर होती रही उसी संवाद के दोरान एक बात पर मेंने लड़की को “YES MY SISTER” कहा तो उसने जवाब दिया " HELLO I M NOT YOUR SISTER " मैं हैरान रह गया और लड़की से इस बात का कारण पूछा परंतु उसने कोई जवाब नहीं दिया ये बात और है की हमने उसके बाद भी काफी अच्छी बातें आपस में की ! एक बात और हम सब हमारे बच्चों से जब भी पूछते हैं की इस लड़के या लड़की को कैसे जानते हो तो आमतौर पर सब कहते हैं “FACEBOOK FRIEND है” , पर कोई किसी के बारे में ये नहीं कहता की ये मेरी “ FACEBOOK SISTER YA BROTHER है ?” न तो माँ- बाप न घर के कोई और लोग इस बात पर कोई समझदारी दिखते हैं ! आप सब लोग को बताना चाहता हूँ की पाश्चात्य यानि के पश्चिमी सभ्यता एक छलावा है और उसके नाम पर अपनी सभ्यता को भूलना या छोड़ देना बहुत बड़ी मूर्खता है ! मैं अपने भारत देश के सभी माँ- बाप , भाई - बहनों , दोस्तो -मित्रो से अपील करता हूँ के अभी भी समय है अपनी संस्कृति , अपनी धरोहर , अपने संस्कारो के साथ आगे बड़ो तब आप सब देखेंगे के हमारी माताओं , बहनों , बहुओ को हर जगह , हर घर , हर दफ्तर , देश और विदेश के कोने- कोने में आदर - सम्मान अपने आप मिलेगा !
आज मैं आप सब से कोई माफी नहीं मागूंगा प्रार्थना नहीं करूंगा क्योंकि मैं भी जानता हूँ और आप सब भी जानते हैं की मैं सही कह रहा हूँ !